लिफाफे को दबाएं, Push the envelope
एक बार एक सर, क्लास में इंटर हुए और सारे बच्चों की तरफ देखने लगे। थोड़ी देर के बाद उन्होंने अपने हाथ में एक चौक लिया और बोर्ड पर एक लकीर बना दिया, होरिजेंटल टाइप की एक लाइन बना दी।
और सारे बच्चों से बोला कि ” बच्चों इस लाइन को छोटी करके बताओ! ” यह सुनते ही उन सारे बच्चों में से एक बच्चा उठ कर आया और सर ने जो बोर्ड़ पर लाइन बनाई थी, उसे डस्टर से मिटाने लगा।
तो सर ने उस बच्चों का हाथ पकड़ लिया और सारे बच्चों की तरफ देखकर कहने लगे कि ” लाइन को छोटी करके बताओ, वह भी बिना मिटाए! ” अब यह सुनते ही सारे बच्चे हैरान हो गए कि इस लाइन को बिना मिटाये कैसे छोटी करें!
हर बच्चा अपना अपना दिमाग लगा रहा था, अपना अलग तरीके से सोच रहा था। थोड़ी देर के बाद उन सारे बच्चों में से एक बच्चा उठकर आता है और ब्लैक बोर्ड के पास खड़ा हो जाता है और सोचने लगता है।
सोचते सोचते ही उस बच्चों ने सर के हाथ से चौक लिया और सर ने जो लाइन बनाई थी, उसके ऊपर एक बड़ी लाइन बना दी। इससे हुआ क्या इससे यह हुआ जो सर ने लाइन बनाई थी, वह छोटी हो गई उस बड़ी लाइन के सामने।
फिर सर बच्चों को देखकर मुस्कुराये और सारे बच्चों से कहने लगे कि ” बच्चों अगर तुम्हें जिंदगी में कामयाब होना है, सक्सेसफुल होना है और अमीर बनना है तो कभी भी जिंदगी में किसी को गिराओ मत, किसी को छोटा मत करो।
बल्कि तुम खुद जिंदगी में इतने बड़े बन जाओ, इतने कामयाब बन जाओ, और इतने आगे निकल जाओ की वह खुद-ब-खुद छोटा हो जाएगा। और यह सब कब होगा, जब आप मेहनत करोगे! हद पार मेहनत करोगे।
इतनी मेहनत करो कि किस्मत खुद कहे की ले ले बेटा, यह तेरा ही हक़ है। मैं जानता हूं यह कहानी बहुत छोटी थी, लेकिन इससे जो हमें सीख मिलती है वह बहुत बड़ी सिख थी।
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